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इन्द्रियनिग्रह (तकवा) किन लोगों के लिये है?

ज्ञान द्वारा विश्वास (इल्मुलयक़ीन)

यह लोग सांसारिक होते हैं। श्रवणस्थान (मुकाम-ए-शुनीद) होता है। ज्ञान द्वारा विश्वास रखते हैं। इनका ईमान (श्रद्धा) सुनी-सुनाई बातों पर होता है। भटक भी जाते हैं। इन्हें इन्द्रियनिग्रह से नहीं बल्कि परिश्रम से मिलता है। चाहे भक्ष्यजीविका (हलाल) से कमायें या अभक्ष्य (हराम) से।

नेत्र द्वारा विश्वास (ऐनुलयक़ीन)

यह लोग संसार-मुक्त (तारकुददुनिया) कहलाते हुए भी सांसारिक लोगों के साथ ही रहते हैं परन्तु इनका मुख और हृदय ईश्वर की ओर होता है। इनको प्राय: दिव्य दृश्य (रहमानी नज़ारे) भी दिखाये जाते रहते हैं। इनका स्थान दर्शन होता है। इन्हें भी उचित परिश्रम से मिलता है। अनुचित से इन्हें हानि होती है।

परम सत्य विश्वास (हक्कुलयकीन)

इनका स्थान समर्पितता (मुकाम-ए-रसीद) होता है। अर्थात- ईश्वर की ओर से कोई पद मिल जाता है और ईश्वर की कृपा दृष्टि में आ जाते हैं। इन्हें संसार निवृत्त (फारिगुददुनिया) कहते हैं। संसार में रहकर भी उचित या अनुचित धंदे से दूर रहते हैं। यह यदि जंगलों में भी बैठ जायें तो ईश्वर इन्हें वहाँ भी जीविका पहुँचाता है। ये इन्द्रियनिग्रहों की मंज़िल है। प्राथ्मिक लोग इन्द्रियनिग्रहों की बात अवश्य करते हैं किन्तु इसमें सफल नहीं होते।

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