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मानवात्मा

"इसकी अवतारत्व और ज्ञान इब्राहीम को मिला था"

यह दायें स्तन के समीप होती है। जाप की टक्करों और अनुध्यान से इसको भी जगाया जाता है। फिर इधर भी एक धड़कन प्रकट हो जाती है। इसके साथ (जाप) 'या अल्लाह' मिलाया जाता है। फिर मनुष्य के अंदर दो बन्दे जाप करना आरंभ कर देते हैं और उसका पद हृदयकॅवल वाले से बढ़ जाता है। आत्मा का रंग लाल जैसा होता है और इसकी जाग्रुक्ता से जबरूत तक (जो जिब्राईल का स्थान है) पहुँच हो जाती है। क्रोध एवं प्रकोप उसके पड़ोसी होते हैं जो जलकर जलाल (प्रताप) बन जाते हैं।

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