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मानव शरीर में इन शक्तियों की ड्यूटियाँ

अख़फ़ा शक्ति :

इसके द्वारा मनुष्य बोलता है वरना जिह्वा ठीक होने के बावजूद वह गूंगा है। मनुष्यों और पशुओं में अंतर इन शक्तियों का है। जन्म के समय यदि अख़फ़ा किसी वजह से शरीर में प्रवेश न हो सके तो इसे शरीर में मंगवाना किसी संबंधित अवतार की ड्यूटी थी, फिर गूंगे बोलना आरंभ हो जाते थे।

सिर्री शक्ति :

इसके द्वारा मनुष्य देखता है। इसके शरीर में न आने से जन्मजात अंधा है इसको वापस लाना भी किसी संबंधित अवतार की ड्यूटी थी जिससे अंधे भी देखना आरंभ हो जाते थे।

हृदयकॅवल :

इसके शरीर में न होने के कारण मनुष्य बिल्कुल पशुओं की तरह ईश्वर से अन्भिज्ञ और दूर, रूचिहीन, आनंदहीन हो जाता है, इसको वापस दिलवाना भी अवतारों का काम था। और उन अवतारों के प्रत्यक्ष चमत्कारें (मोज्जात) परोक्ष चमत्कार (करामत) की सूरत में संतों को भी प्रदान हुए, जिसके द्वारा व्यभिचारी एवं दुराचारी भी ईश्वर तक पहुँच गये। किसी भी संत या अवतार के माध्यम जब किसी संबंधित शक्ति को वापस किया जाता है तो गूंगे, बहरे और अंधे भी स्वस्थ हो जाते हैं।

अना शक्ति :

इसके शरीर में न आने से मनुष्य पागल कहलाता है निःसंदेह मस्तिष्क की सब धमनियाँ काम कर रहीं हों।

ख़फ़ी शक्ति :

इसके न आने से मनुष्य बहरा है, चाहे कान के छिद्र खोल दिये जायें। शारीरिक त्रुटियों से भी यह परिस्थितियाँ जन्म ले सकती हैं जो चिकित्सायोग्य हैं, परंतु प्राणिवर्गों के सिरे से ही न होने का कोई उपचार नहीं जबतक किसी अवतार या संत का सहयोग प्राप्त न हो।

नाभि आत्मा (नफ्स) :

इसके द्वारा मनुष्य का दिल दुनिया में, और हृदयकॅवल के द्वारा मनुष्य का झुकाव ईश्वर की ओर मुड़ जाता है।

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