भाग्य
भाग्य दो प्रकार के होते है, 1.सृष्टिकालीन (अज़ल)......और...... 2.लंबित (मुअल्लक)।
कुछ लोग कहते हैं कि जब भाग्य में जीविका लिख दिया तो उसके लिये घूमना फिरना क्या? मख़दूम जहानियाँ ने कहा कि जीविका प्राप्त करने के लिये घूमना फिरना भी भाग्य में लिख दिया।
उदाहरणार्थ : जैसे कि आप के लिये फूलों का गुलदस्ता छत पर रख दिया गया है। “यह सृष्टिकालीन भाग्य है”। इसे प्राप्त करने के लिये आपको सीढ़ियों द्वारा छत पर पहुँचना है। “यह लंबित भाग्य है”, जो आपके वश में है और इसी लंबित का हिसाब-किताब होगा, न कि सृष्टिकालीन भाग्य का! आप छत पर पहुँचेंगे और अपना भाग्य प्राप्त कर लेंगे। यदि आपने सुस्ती की और छत तक न पहुँचे तो उससे वंचित हो जायेंगे। दूसरा व्यक्ति जिसके भाग्य में छत पर गुलदस्ता नहीं है वह यदि सीढ़ियों द्वारा या कठोर परिश्रम से भी छत पर पहुँच जाये तो वह वंचित ही है।
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