महा शिवलिंगम (हज्र-ए-अस्वद)
मक्का, सऊदी अरब में काले पत्थर (हज्र-ए-अस्वद) पर एक मानव चेहरा प्रकट हुआ।

इस लेख के अनुसार, शेख हमद बिन अब्दुल्लाह ने पवित्र काले पत्थर पर मानव चेहरे की उपस्थिति के संबंध में कहा, "मक्का के आध्यात्मिक लोग कहते हैं कि यह प्रतीक्षित इमाम मेहदी का चेहरा है।"
स्रोत: मक्का, सऊदी अरब में पवित्र काले पत्थर पर मानव चेहरा खोजा गया; स्टॉफ रिपोर्टर, दा डेली परचम (कराची, पाकिस्तान), 26 मई, 1998
इस रिपोर्ट के अनुसार, "आध्यात्मिक हलकों में कहा जाता है कि सूर्य और चंद्रमा पर उनके चेहरे की छवि उभरने के साथ-साथ, पवित्र काले पत्थर पर जो चेहरा दिखाई दे रहा है, वह पाकिस्तान के रियाज़ अहमद गौहर शाही का है।"

ऊपर : मासिक ग्रेट गॉड मैगज़ीन के एक लेख की कटिंग, जो पवित्र काले पत्थर पर प्रकट छवि के बारे में है। यह लेख इस बात पर विचार करता है कि क्या यह चेहरा सत्पुरुष गौहर शाही का है। साथ ही, इसमें सत्पुरुष गौहर शाही की एक तस्वीर और पवित्र काले पत्थर की एक डिजिटल रूप से संवर्धित छवि की तुलना दिखाई गई है, जिससे उसके भीतर उभरते चेहरे को स्पष्ट रूप से देखा जा सके।

यह छवि इतनी स्पष्ट है कि कोई भी इसके अस्तित्व से इनकार नहीं कर सकता। बहुत से लोग कह रहे हैं कि यह प्रतीक्षित इमाम मेहदी (अलैहिस्सलाम) का चेहरा है। इस समाचार पत्र लेख का एक अंश :
"सऊदी अरब से प्राप्त एक फैक्स के अनुसार, शेख हमद बिन अब्दुल्लाह ने मक्का से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। इसमें कहा गया है कि हज से पहले पवित्र काले पत्थर पर एक मानव छवि के स्पष्ट संकेत दिखाई दिए थे। यह छवि उलटी है, इसी कारण पहली नजर में दिखाई नहीं देती, लेकिन जब इसे इंगित किया जाता है, तो यह स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शेख हमद बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि इस छवि के प्रकट होने के दो संभावित कारण हो सकते हैं; या तो यह स्वाभाविक रूप से उभरी है, या फिर यह मानव निर्मित हो सकती है। लेकिन क्योंकि हज्र-ए-अस्वद की सख्त सुरक्षा होती है और इसके चारों ओर हमेशा तीर्थयात्रियों की भीड़ रहती है, इसलिए यह संभावना बहुत कम है कि कोई व्यक्ति इसे बनाकर वहां रख सके। अब सवाल यह उठता है कि यदि यह छवि पहले से ही हज्र-ए-अस्वद पर मौजूद थी, तो अब तक किसी ने इसे क्यों नहीं देखा? यह छवि इतनी स्पष्ट है कि इसे नकारा या अस्वीकार नहीं किया जा सकता।"
स्रोत: मुहासिब न्यूज़, कराची (16-30 जून, 1998)

यह पंजाब सरकार द्वारा प्रकाशित एक धार्मिक पाठ्यपुस्तक का बिना बदला हुआ कवर है। इसे उल्टा करने पर पवित्र काले पत्थर के भीतर स्पष्ट रूप से मानव छवि देखी जा सकती है।
स्रोत: दीनियात (वर्ष 3), पाकिस्तानी टेक्स्ट बुक डिपो (लाहौर)।

पवित्र काले पत्थर की छवियां, जिनमें एक मानव आकृति स्वाभाविक रूप से उभरी है और उल्टा देखने पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इसे आसानी से पहचानने के लिए सबसे दाईं ओर हाइलाइट किया गया है।
स्रोत: मिर्ज़ा लाइब्रेरी, मक्का (सऊदी अरब)।

बाएँ और दाएँ छोर की छवियाँ पवित्र काले पत्थर की हैं। इनमें मानव आकृति को स्पष्ट रूप से दिखाने के लिए कंट्रास्ट बढ़ाया गया है।
स्रोत: मिर्ज़ा लाइब्रेरी, मक्का (सऊदी अरब)।
परमपूज्य गौहर शाही का वह फोटो जो महा शिवलिंगम में प्रकट होने वाले दिव्य प्रतिबिंब से समतुल्यता रखता है।

मिर्ज़ा लाइब्रेरी और पाकिस्तानी पाठ्यपुस्तक से ली गई ये छवियाँ सीधी स्थिति में हैं। सीधी अवस्था में, पवित्र काले पत्थर में एक और छवि दिखाई देती है, जिसे बाएँ छोर पर अलग करके दिखाया गया है।

25 वर्ष की ही आयु में “जुस्सा-ए-गौहर शाही” अर्थात- प्रतिशरीर को आंतरात्मिक सेना के सेनापति के पद से सम्मानित किया गया था।
उस आयु और उस समय की निशानदेही, हज्र-ए-अस्वद (महा शिवलिंगम) और साथ दी हुई तस्वीर में देखें।
पुस्तक में पृष्ठ
52 - 56