अख़फ़ा शक्ति
"इसकी अवतारत्व और ज्ञान मुहम्मद स० को मिला था"
यह प्राणिवर्ग वक्षस्थल के मध्य है। 'या अहद' का जाप इसके लिये माध्यम है इसका रंग जामुनी है इसका संबंध भी वहदत स्थान के उस पर्दे से है जिसके पीछे ईश्वर का सिंहासन है।
पाँचों शक्तियों का आंतरात्मिक ज्ञान भी पाँचों अवतारों को क्रमवार प्राप्त हुआ और प्रत्येक शक्ति का आधा ज्ञान अवतारों से संतों तक पहुँचा। इस प्रकार उसके भी दस भाग बन गये फिर संतों से विशेष (लोग) इस ज्ञान से लाभान्वित हुए। जबकि वह्य ज्ञान, वह्य शरीर, वह्य भाषा, मर्त्यलोक और नाभि आत्माओं से संबंध रखता है। यह साधारण लोगों के लिये है और इसका ज्ञान वह्य पुस्तक में है जिसके (३०) भाग हैं। आंतरिक ज्ञान भी अवतारों पर वहिय (ईश्वर संदेश जो अवतारों पर उतरे) के माध्यम उतरा, इस वजह से इसे भी आंतरिक कुरान बोलते हैं। कुरान की बहुत सी पंक्तियाँ बाद में निरस्त की जातीं, उसकी वजह यही थी कि कभी कभी सीने का ज्ञान भी मुहम्मद स० की जुबान से साधारण में निकल जाता जो कि विशेष के लिये था, बाद में यह ज्ञान सीना ब सीना संतों में चलता रहा और अब पुस्तकों द्वारा सर्व साधारण कर दिया गया।
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